ममता जन्मजात विद्रोही, उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकताःप्रणव मुखर्जी
नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने ममता बनर्जी को 'जन्मजात विद्रोही' करार दिया और उन क्षणों को याद किया जब वह एक बैठक से सनसनाती हुई बाहर चली गई थीं और वह खुद को कितना 'अपमानित और बेइज्जत' महसूस कर रहे थे। मुखर्जी ने अपने नई किताब 'द कोएलिशन ईअर्स' में उनके (ममता के) व्यक्तित्व की उस आभा का जिक्र किया है जिसका 'विवरण कर पाना मुश्किल और अनदेखी करना असंभव है।' पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि ममता ने निडर और आक्रामक रूप से अपना रास्ता बनाया और यह 'उनके खुद के संघर्ष का परिणाम' था।
उन्होंने लिखा है 'ममता बनर्जी जन्मजात विद्रोही हैं।' उनकी इस विशेषता को वर्ष 1992 में पश्चिम बंगाल कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव के एक प्रकरण से बेहतर समझा जा सकता है, जिसमें वह हार गई थी। प्रणव ने याद किया कि उन्होंने अचानक अपना दिमाग बदला और पार्टी इकाई में खुले चुनाव की मांग की।
पूर्व राष्ट्रपति ने अपनी किताब में लिखा है कि साल 2012 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जब वह शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से मिले थे तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उनसे खासी नाराज हुई थीं। प्रणब मुखर्जी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी के तीसरे वॉल्यूम 'द कोएलिशन ईयर्स:1996-2012' में अपनी और ठाकरे की मुलाकात से जुड़े तथ्यों को साझा किया है।
प्रणब मुखर्जी ने यूपीए 2 सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री रहते हुए की गई अपनी एक गलती के बारे में बात की है.। प्रणब दा ने साल 2011 के जून महीने में योग गुरु रामदेव से हवाई अड्डे पर जाकर मिलने को अपनी बड़ी गलती बताया। एक श्रोता द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि ये उनका “गलत फैसला” था और उन्हें “ऐसा नहीं करना चाहिए था।” प्रणब मुखर्जी ने बताया कि अन्ना हजारे के आंदोलन की वजह से यूपीए सरकार परेशानी में थी इसलिए वो चाहते थे कि रामदेव के भूख-हड़ताल शुरू करने से पहले ही मामले को सुलझा लें।